कलिंग की लड़ाई
कलिंग का युद्ध कब हुआ था?
कलिंग का प्रख्यात युद्ध सम्राट अशोक और कलिंग के शासक अनंत नाथन के बीच 261-262 ईसा पूर्व मे भुवनेश्वर से 8 किलोमीटर दक्षिण में दया नदी के किनारे लड़ा गया था। कलिंग उस समय ओडिशा, आन्ध्रकलिंग, छत्तीशगढ़, झारखण्ड और बंगाल और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में स्थित था।
कलिंग युद्ध का भारतीय इतिहास में क्या महत्व है?
भारतीय इतिहास में ऐसे कई युद्ध हुए हैं जिन्होंने इतिहास ही बदल डाला। ऐसा ही एक युद्ध था- कलिंग युद्ध। इसने भारतीय इतिहास के पूरे कालखंड को ही बदल कर रख दिया था। इस युद्ध को भारतीस इतिहास का भीषणतम युद्ध कहा जाता है। चक्रवर्ती सम्राट अशोक ने अपने राज्याभिषेक के 8वें वर्ष (261 ई. पू.) में कलिंग पर आक्रमण किया था। कलिंग विजय उसकी आखिरी विजय थी। युद्ध की विनाशलीला ने सम्राट को शोकाकुल बना दिया और वह प्रायश्चित्त करने के प्रयत्न में बौद्ध विचारधारा की ओर आकर्षित हुआ। कलिंग युद्ध ने अशोक के हृदय में महान परिवर्तन कर दिया । उसका हृदय मानवता के प्रति दया और करुणा से उद्वेलित हो गया। उसने युद्ध क्रियाओं को सदा के लिए बन्द कर देने की प्रतिज्ञा की। यहाँ से आध्यात्मिक और धम्म विजय का युग शुरू हुआ। उसने बौद्ध धम्म को अपना धर्म स्वीकार किया।
कलिंग का इतिहास:
वर्तमान उड़ीसा राज्य प्राचीन काल में कलिंग के नाम से प्रसिद्ध था।
पहले यह नंदवंश के शासक महापद्मनंद के साम्राज्य का एक अंग था। कुछ समय के लिए मगध साम्राज्य से अलग हो गया था, परंतु अशोक ने गद्दी पर बैंठने के आठवें वर्ष इसे पुन: जीत लिया। इस युद्ध में कलिंगवासियों ने अशोक की सेना का असाधारण प्रतिरोध किया।
कलिंग के एक लाख व्यक्ति मारे गए, डेढ़ लाख बंदी बनाए गए और इससे कहीं अधिक संख्या में, युद्ध से हुए विनाश के कारण, बाद में मर गए।
इसी विनाश को देखकर अशोक युद्ध के बदले धर्म-विजय की ओर प्रवृत्त हुआ था।
धौलगिरि नामक स्थान पर जहां अशोक की सेना का शिविर था और बाद में जहाँ उसने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी, अब एक आकर्षक स्तूप, मंदिर और शिलालेख विद्यमान हैं।
आगे की शताब्दियों में कलिंग ने अनेक परिवर्तन देखे। कभी खारवेल यहाँ के शासक बने तो कभी यह गुप्त साम्राज्य में मिला।
6वीं-7वीं शताब्दी में थोड़े समय के लिए यहाँ की सत्ता हर्षवर्धन के हाथों में भी रही।
अनन्तवर्मा चोडगंग जो पूर्वी गंग वंश का प्रमुख राजा था। उसने कलिंग पर 71 वर्ष (1076-1147 ई.) तक राज्य किया।
कलिंग युद्ध के प्रमुख कारण:
- कलिंग पर विजय प्राप्त अशोक अपने साम्राज्य मे विस्तार करना चाहता था।
- सामरिक दृष्टि से देखा जाए तो भी कलिंग बहुत महत्वपूर्ण था। स्थल और समुद्र दोनो मार्गो से दक्षिण भारत को जाने वाले मार्गो पर कलिङ्ग का नियन्त्रण था।
- यहाँ से दक्षिण-पूर्वी देशो से आसानी से सम्बन्ध बनाए जा सकते थे।
कलिंग युद्ध के परिणाम
मौर्य साम्राज्य का विस्तार हुआ। इसकी राजधानी तोशाली बनाई गई।
इसने अशोक की साम्राज्य विस्तार की नीति का अन्त कर दिया।
इसने अशोक के जीवन पर बहुत प्रभाव डाला। उसने अहिंसा, सत्य, प्रेम, दान, परोपकार का रास्ता अपना लिया।
अशोक बौद्ध धर्म का अनुयायी बन गया। उसने बौद्ध धर्म का प्रचार भी किया।
उसने अपने संसाधन प्रजा की भलाई मे लगा दिए।
उसने ‘धम्म’ की स्थापना की।
उसने दूसरे देशो से मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध बनाए।
कलिंग युद्ध मौर्य साम्राज्य के पतन का कारण बना। अहिंसा की नीति के कारण उसके सैनिक युद्ध कला मे पिछड़ने लगे। परिणामस्वरूप धीरे-धीरे उसका पतन आरम्भ हो गया।
महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर (FAQs):
प्रश्न: कलिंग युद्ध क बाद किसने महाराज अशोक के रूपांतरण की दर्ज किया?
उत्तर: रॉक एडिक्ट XIII
प्रश्न: कलिंग युद्ध किस वर्ष हुआ था?
उत्तर: 261 ई० पू० में
प्रश्न: अशोक का कलिंग युद्ध का प्रभाव कहाँ दिखाई देता है?
उत्तर: शिलाओं पर उत्कीर्ण 13वें राज्यादेश
प्रश्न: किस शिला राजादेश में अशोक ने कलिंग युद्ध के हताहतों का उल्लेख किया हैं और युद्ध त्याग की घोषणा की हैं?
उत्तर: शिलालेख XIII
प्रश्न: किस व्यक्ति को 'द्वितीय अशोक' कहा जाता है?
उत्तर: कनिष्क को
प्रश्न: प्राचीन कलिंग मुख्यतः स्थित था -
उत्तर: उत्तर में महानदी और दक्षिणा में गोदावरी के बीच
प्रश्न: कलिंग शासक खारवेल ने किस धर्म को संरक्षण दिया था?
उत्तर: जैन धर्म को
प्रश्न: कलिंग के विरूद्ध अशोक के अभियान की जानकारी का मुख्य स्त्रोत क्या है?
उत्तर: शिलालेख XIII