प्रश्न -: महासागरीय लवणता किसे कहते हैं ?
उत्तर -: सामान्य भाषा में, लवणता महासागरीय जल में घुली हुई अशुद्धियां होती हैं। जिसमें विशेष रूप से nacl की अत्यधिक मात्रा होती है। जिसके कारण महासागरीय जल खारा होता है। इसे ही लवणता कहते हैं। महासागरीय लवणता का प्रभाव धाराओं, तापमान, सागरीय जीवों आदि सभी पर पड़ता है। अधिक लवण-युक्त सागर देर से जमता है। लवणता के अधिक होने पर वाष्पीकरण न्यून होता है तथा जल का घनत्व बढ़ जाता है। महासागर के अलग अलग भागों में लवणता का वितरण अलग अलग होता है। जो अनेक स्थानीय कारकों और सामान्य कारकों का प्रभाव होता है।
प्रश्न -: लवणता को किस में व्यक्त किया जाता है ?
उत्तर -: लवणता को प्रति हजार ग्राम में व्यक्त किया जाता है। अर्थात् 20% लवणता का अर्थ होगा – 20 ग्राम लवणता प्रति हजार ग्राम पर।
प्रश्न -: लवणता को किसके द्वारा मापा जाता है ?
उत्तर -: लवणता को लवणता मापी यंत्र यानि Salino Nactor यंत्र द्वारा मापा जाता है।
प्रश्न -: आइसोहेलाइन किसे कहा जाता है ?
उत्तर -: समान लवणता को मानचित्र पर दर्शाने वाली रेखा को समलवण रेखा (आइसोहेलाइन) कहा जाता है।
प्रश्न -: महासागरों की औसत लवणता कितनी है ?
उत्तर -: महासागरों की औसत लवणता 35% है अर्थात् 35 ग्राम प्रति हजार ग्राम।
महासागरीय लवणता को प्रभावित करने वाले कारक -:
अक्षांश -:
सामान्य रूप से देखा जाता है कि विषुवत रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर महासागरीय जल की लवणता धीरे धीरे कम होने लगती है। विषुवत रेखा के पास सामान्य रूप से लवणता लगभग 35/1000 ग्राम होती है। जो ध्रुवों की ओर जाने के क्रम में घटती जाती है। और ध्रुवों के पास शून्य हो जाती है।
यहां उल्लेखनीय यह है कि सागरीय जल का अधिकतम तापमान विषुवत रेखा के पास न होकर कर्क रेखा और मकर रेखा के आस पास क्षेत्रों में होता है। क्यूंकि कर्क रेखा और मकर रेखा के क्षेत्र में साल के अधिकांश समय एक दम साफ़ मौसम होता है। जिससे सूर्य की किरणें अधिक मात्रा में पहुंचती हैं। जिससे वाष्पीकरण की दर ऊंची होती है। इसके विपरित विषुवत रेखा पर साल के अधिकांश दिनों में आकाश में छाए रहते हैं। जिससे प्राप्त होने वाली ऊष्मा कम मिलती है।
स्वच्छ जल की आपूर्ति -:
महासागरीय जल की लवणता स्वच्छ जल की आपूर्ति से अत्यधिक प्रभावित होती है। महासागर के जिन भागों में नदियां आकर गिरती हैं। उस भाग की लवणता सागर के अन्य भागों की तुलना की तुलना अत्यधिक कम होती है। जैसे -: गल्फ ऑफ बुथानिया में स्कैंडनेवियन क्षेत्र से निकलने वाली अनेक छोटी छोटी नदियां गिरती हैं। जिसके परिणामस्वरूप इसकी लवणता घटकर मात्र 2/1000 ग्राम रह जाती है। इसलिए गल्फ ऑफ बुथानिया को विश्व की न्यूनतम लवणता वाली झील माना जाता है। इसी प्रकार बंगाल की खाड़ी गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों के अलावा अन्य कई नदियां भी मुहाना बनाती हैं।
लवणता का वितरण -:
महासागरीय जल की लवणता का वितरण दो प्रकार से होता है।
क्षैतिज वितरण
ऊर्ध्वाधर वितरण
समुद्र के जल की लवणता वाष्पीकरण और वर्षण के अंतर पर बहुत अधिक निर्भर है। सबसे अधिक लवणता वाले क्षेत्र आयनमंडलों के समीप पाए जाते हैं। क्यूंकि यहां स्वच्छ आकाश, उच्च तापमान तथा नियमित व्यापारिक पवनों के वाष्पीकरण तेज होता है।
अटलांटिक महासागर में आयनमंडलों के समीप लवणता लगभग 37/1000 ग्राम होती है। आयनमंडलों के दोनों ओर विषुवत वृत्त तथा ध्रुवों की ओर लवणता घटती जाती है। विषुवत वृत्त के समीप भारी वर्षा, उच्च सापेक्षिक आर्द्रता, मेघाच्छन्न आकाश तथा डोलड्रम्स की शांत वायु के कारण लवणता अपेक्षाकृत कम रहती है। इस क्षेत्र की लवणता लगभग 35/1000 ग्राम है। वहीं ध्रुवीय क्षेत्रों में वाष्पीकरण बहुत कम होता है। और बर्फ पिघलने से मीठे जल की आपूर्ति होती है। इससे लवणता घट जाती है। जो लगभग 20-32/1000 ग्राम के बीच होती है।
इस प्रकार सबसे अधिक लवणता 20° और 40° उत्तरी अक्षांशो के मध्य तथा 10° और 30° दक्षिणी अक्षांशो के मध्य पाई जाती है।
खुले सागरों में लवणता में अंतर अपेक्षाकृत कम होता है। किन्तु घिरे हुए समुद्रों में यह अंतर अधिक होता है। उदाहरण के लिए – बाल्टिक सागर में दक्षिणी स्वीडन के तट के समीप लवणता लगभग 11/1000 ग्राम है। किन्तु बोथनिया की खाड़ी के शीर्ष के समीप यह घटकर 2/1000 रह जाती है। काला सागर में अनेक नदियों के गिरने से वहां लवणता की मात्रा 18/1000 ही है। इसके विपरित लाल सागर में आकर मिलने वाली नदियों के अभाव और अधिक वाष्पीकरण के कारण यहां लवणता 40/1000 से भी अधिक है।
नदियों द्वारा लगातार लवण की आपूर्ति होते रहने से अंतःसमुद्रों तथा झीलों में लवणता की मात्रा बहुत अधिक होती है। और वाष्पीकरण भी उनके जल को दिन प्रतिदिन लगातार अधिक खारा बनाता है। उदाहरण के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के यटाह राज्य की ग्रेट साल्ट लेक, मृत सागर तथा तुर्की की वान झील में लवणता की मात्रा क्रमशः 220, 240 तथा 330 प्रति हजार है।
समुद्री जल की लवणता में गहराई में वृद्धि के साथ कमी आती जाती है। किन्तु यह कमी अक्षांश के अनुसार बदलती है। इस कमी को ठंडी और गर्म जलधाराएं भी प्रभावित करती हैं। उत्तरी और दक्षिणी अटलांटिक महासागर में लवणता की कमी की दर भिन्न भिन्न है। उच्च अक्षांशो में गहराई के साथ लवणता में वृद्धि होती है। मध्य अक्षांशो में यह 35 मीटर की गहराई तक बढ़ती है। और उसके बाद घटने लगती है। विषुवत वृत्त के समीप धरातलीय जल की लवणता कम होती है।
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