~ यूरोप महाद्वीप का क्षेत्रफल की दृष्टि से सात महाद्वीपों में छ्ठा स्थान है। इसके उत्तर में उत्तरी ध्रुव महासागर, दक्षिण में भूमध्य सागर और पश्चिम में अटलांटिक महासागर है। पूर्व में यूराल पर्वत, काकेशस पर्वत तथा कैस्पियन सागर यूरोप महाद्वीप को एशिया महाद्वीप से अलग करते हैं।
~ यूरोप की तटरेखा बहुत ही दंतुरित है। इस कारण यहां के प्राकृतिक पोताश्रय और पत्तनों के लिए अनेक उपयुक्त स्थान उपलब्ध हैं। यूरोप महाद्वीप के आस पास स्थित अधिकतर खाडियां और सागर उथले हैं। इसी कारण यहां का मत्स्यन क्षेत्र संसार के सर्वोत्तम मछली पकड़ने वाले क्षेत्रों में से एक है।
~ यूरोप के उत्तरी भाग में स्कैंडिनेवियन देश है। जिसमें आइसलैंड, नॉर्वे, स्वीडन और डेनमार्क देश सम्मिलित हैं।
~ रूस का बहुत बड़ा भाग तथा नौ स्वतंत्र गणराज्य जो पहले सोवियत संघ के अंग थे, यूरोप महाद्वीप के भाग हैं। इनमें से एस्तोनिया, लिथुआनिया तथा लात्विया को बाल्टिक राज्यों के नाम से जाना जाता है।
~ बेल्जियम, नीदरलैंड और लक्जमबर्ग को निम्न भूमि देश कहते हैं।
~ युगोस्लाविया ( सर्बिया और मोंटेनीग्रो ), स्लोवेनिया, क्रोशिया, बोस्निया-हर्जेगोविना, मैसिडोनिया, बुल्गारिया, ग्रीस, रुमानिया और अल्बानिया को बाल्कन राज्य कहते हैं।
~ आयरलैंड में उत्तरी आयरलैंड तथा आयरिश गणराज्य शामिल है।
~ ग्रेट ब्रिटेन स्कॉटलैंड, वेल्स और इंग्लैंड से मिलकर बना है।
यूरोप महाद्वीप को 4 प्रमुख भौतिक विभागों में बांटा जाता है।
1. उत्तर पश्चिमी उच्च भूमियां -:
यूरोप के सुदूर उत्तर में उच्च भूमियों का एक प्रदेश है। यह फिनलैंड से लेकर स्वीडन, नॉर्वे और ब्रिटिश द्वीप समूह से होता हुआ, आइसलैंड तक फैला हुआ है। इस उच्च भूमि के उत्तरी भाग को फेनोस्कैंडिनेवियन शील्ड कहते हैं। इस शील्ड की चट्टानें यूरोप की सबसे पुरानी अनावृत्त ( उधड़ी हुई ) चट्टानें हैं। जहां हिमानियों ने अवसादी चट्टानों को काट काट कर हटा दिया है। लेकिन यहां अवसादी चट्टानों से संबंधित जीवाश्म ईंधन लगभग नहीं पाए जाते।
इस शील्ड के पश्चिमी भाग में मोड़ पड़ गए हैं। जिन्होंने पर्वतों का रूप ले लिया है। नॉर्वे के तट पर ये अटलांटिक महासागर तक जा पहुंचे हैं। जिससे फियोर्ड बन गए हैं। ये हिमानियों के द्वारा निर्मित गहरी घाटियां हैं। जिसमें अब सागर का जल भर गया है।
2. यूरोप के उत्तरी मैदान -:
यह उत्तरी मैदान पूर्व में यूराल पर्वतों से लेकर पश्चिम में अटलांटिक महासागर तक फैले हुए हैं। इसके उत्तर में श्वेत सागर तथा उत्तर पश्चिमी उच्च भूमियां और दक्षिण में मध्यवर्ती उच्च भूमियां हैं। ये सामान्यतः समतल हैं। लेकिन कहीं कहीं पहाड़ियां अपरदित होकर द्रोणीयों में बदल गई हैं। लंदन और पेरिस की द्रोणीयां ऐसी ही हैं।
राइन नदी और सीन नदी दो महत्त्वपूर्ण नदियां हैं। जो क्रमशः उत्तरी सागर और इंग्लिश चैनल में गिरती हैं। राइन नदी अपनी दरार घाटी के लिए प्रसिद्ध है। डेन्यूब, नीपर, डॉन तथा वोल्गा अन्य महत्त्वपूर्ण नदियां हैं।
इस मैदान में कई स्थानों पर उत्तम कोटि के जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के निक्षेप पाए जाते हैं। इन निक्षेपों का विस्तार उत्तरी सागर में भी है।
3. मध्यवर्ती उच्च भूमियां -:
स्पेन और पुर्तगाल के मेसेटा, फ्रांस का मध्यवर्ती मैसिफ तथा जूरा पर्वत, जर्मनी का ब्लैक फॉरेस्ट और चैक तथा स्लोवाक की कई कम ऊंचाई वाली पर्वत श्रेणियां, इसी प्रदेश के भाग हैं। इस प्रदेश से होकर दो प्रमुख नदियां बहती हैं। राइन नदी उत्तर की ओर तथा रोन नदी दक्षिण की ओर बहती है।
4. आल्पस पर्वतमाला -:
यूरोप महाद्वीप के दक्षिण में ऊंचे पर्वतों की एक श्रंखला है। इन पर्वतों का निर्माण भी उसी युग में हुआ था जब अफ्रीका के एटलस पर्वत तथा उत्तर अमेरिका के रॉकी पर्वत बने थे। इनका विस्तार पश्चिम में अटलांटिक महासागर से लेकर पूर्व में कैस्पियन सागर तक है। इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण पर्वतमाला आल्पस है। माउंट ब्लांक ( 4807 मी. ) आल्पस की सबसे ऊंची चोटी है। पिरेनीज, कार्पेथियन और काकेशस अन्य महत्त्वपूर्ण पर्वत श्रेणियां हैं।
यूरोप महाद्वीप का सबसे ऊंचा पर्वत शिखर एलब्रुस ( 5633 मी. ) है। यह काकेशस पर्वत श्रेणी में स्थित है।
ये पर्वत श्रेणियां सामान्यतः एक दूसरे के समानांतर मोड़ ( वलन ) बनाती हुई फैली हैं। इन वलित पर्वतों का निर्माण उस समय हुआ था जब भू – पर्पटी के भीतर आंतरिक हलचलों के कारण दोनों ओर से धीरे धीरे दबाव पड़ा था। इस दबाव के कारण ही ये भाग ऊपर उठे और उनमें मोड़ पड़ गए।
यूरोप महाद्वीप की जलवायु -:
यूरोप महाद्वीप का अधिकतर भाग शीतोष्ण कटिबंध में फैला हुआ है। उच्च अक्षांशों में स्थित होने पर यूरोप महाद्वीप की जलवायु मृदुल है। इसकी जलवायु अनेक कारकों से प्रभावित होती है। ये कारक हैं – उच्चावच, सागरों से निकटता, पछुआ पवनें तथा उत्तर अटलांटिक प्रवाह।
यूरोप महाद्वीप का विस्तार पछुआ पवनों की पेटियों में है। ये पवनें दक्षिण पश्चिम से ही चलती हैं। यूरोप में किसी भी पर्वत का विस्तार उत्तर से दक्षिण की ओर नहीं है। इसलिए इन पर्वतों के मार्ग में कोई रुकावट नहीं पड़ती। अतः ये पवनें देश के आंतरिक भागों तक पहुंच जाती हैं। और तापमान को मृदु बनाती हैं।
उत्तर अटलांटिक प्रवाह का गर्म जल पश्चिमी यूरोप के तटों के आसपास के सागरों के पानी को जमने नहीं देता। इस प्रवाह के गर्म प्रभाव को पछुआ पवनें स्थल भागों पर अंदर तक ले जाती है। ये पवनें अपने साथ नमी भी के जाती हैं। और अच्छी वर्षा करती हैं। इन पवनों के स्थाई रूप से चलने के कारण लगभग पूरे साल ही अच्छी वर्षा होती है। यह वर्षा सामान्यतः पश्चिमी भागों में अच्छी होती है और पूर्व की ओर घटती जाती है।
पश्चिमी यूरोप में पछुआ पवनों और समुद्र से निकटता के कारण ग्रीष्म ऋतु कोष्ण तथा शीत ऋतु शीतल रहती है। तापमान पूरे वर्ष भर समान तथा वर्षा भी पूरे वर्ष ही होती है। इस प्रकार की जलवायु महासागरीय जलवायु का विशिष्ट रूप है। और इसे यहां पश्चिमी यूरोप तुल्य जलवायु कहते हैं।
महासागरों का समताकारी प्रभाव पूर्व की ओर घटता जाता है। परिणामस्वरूप मध्य और पूर्वी यूरोप में ग्रीष्म ऋतु गर्म तथा शीत ऋतु बहुत ठंडी होती है। वर्षा भी कम होती है। ऐसी जलवायु, जिसके वार्षिक तापांतर में बड़ी भिन्नता रहती है तथा हल्की वर्षा होती है, महाद्वीपीय जलवायु कहलाती है।
दक्षिणी यूरोप ग्रीष्म ऋतु में अपह्त पवनों के प्रभाव क्षेत्र में आ जाता है। अतः यहां वर्षा केवल शीत ऋतु में ही होती है। ग्रीष्म ऋतु लंबी, गर्म और शुष्क होती है। शीत ऋतु कोष्ण तथा आर्द्र होती है। इस प्रकार की जलवायु को भूमध्य सागरीय जलवायु कहते हैं।
आर्कटिक वृत्त के उत्तर की जलवायु बहुत ठंडी है। वर्षण बहुत कम और वह भी हिम के रूप में होता है। यहां कुछ समय के लिए आधी रात में भी सूर्य दिखाई पड़ता है। और वर्ष के अधिकतर महीनों में भूमि बर्फ से ढंकी रहती है। इसे टुंड्रा जलवायु कहते हैं।
यूरोप महाद्वीप में वनस्पति -:
वनस्पति जलवायु के प्रतिरूपों का ही अनुसरण करती है। जैतून, अंजीर, अंगूर और संतरे भूमध्य सागरीय प्रदेश के सामान्य रूप से पाए जाने मुख्य फल हैं।
आर्कटिक वृत्त के उत्तरी भागों में टुंड्रा वनस्पति – लाइकेन, काई और बौने पेड़ ही उग पाते हैं।
टुंड्रा प्रदेश के दक्षिण में टैगा वनों का विस्तार है। यह शंकुधारी वृक्षों का प्रदेश है। चीड़, स्प्रूस और देवदार यहां के सामान्य वृक्ष हैं। इस पेटी के दक्षिण में मिश्रित वनों की पेटी है। इन वनों में कुछ शंकुधारी पेड़ भी होते हैं लेकिन चौड़ी पत्ती वाले पर्णपाती वृक्षों की प्रधानता है।
यूरोप के दक्षिण पूर्वी भाग में विस्तृत घास भूमियां हैं। इन्हें यहां स्टैप्स कहते हैं। उत्तर अमेरिका के प्रेयरी की तुलना में यहां की घास छोटी होती है। यह घास भूमि रुमानिया में डैन्यूब नदी की घाटी से लेकर पूर्व में यूक्रेन तक फैली हुई है।
~ यूरोप के विशाल भाग समतल और सुनिश्चित जल आपूर्ति वाले हैं। नीदरलैंड ने तो समुद्र से ही भूमि छीन ली है। इन्होंने यह काम समुद्र तट के साथ साथ बड़े बड़े तटबंध बनाकर किया है। इन तटबंधों को डाइक कहते हैं। डाइक से घिरे समुद्री पानी को पंपों द्वारा वापस समुद्र में डाल देते हैं। इस प्रकार प्राप्त भूमि को पोल्डर कहते हैं। इस प्रकार समुद्र से समुद्र से प्राप्त भूमि को कुछ दिनों के लिए सूखने को छोड़ दिया जाता है। इसके बाद इस पर खेती की जाती है।
~ यूरोप महाद्वीप का बहुत बड़ा भाग कृषि के योग्य है, लेकिन मिट्टी का उपजाऊपन और जलवायु एक स्थान से दूसरे स्थान पर भिन्न है। अतः मिट्टी और जलवायु की दशाओं के अनुसार यहां अनेक प्रकार की फसलें पैदा की जाती हैं। यूरोप की प्रमुख फसल गेहूं है।
~ फ्लैक्स यूरोप की एक मात्र रेशेदार फसल है। इससे लिनेन के कपड़े बनाए जाते हैं। यह फसल शीतल और नम भूमियों में उगाई जाती है। बेल्जियम और बाल्टिक राज्य इसके प्रमुख उत्पादक हैं।
~ बुल्गारिया के गुलाब और नीदरलैंड के ट्यूलिप विश्व भर में प्रसिद्ध हैं।
~ उत्तरी सागर के आस पास के देशों में डेयरी उद्योग काफी विकसित हुआ है। डेनमार्क अपने डेयरी उद्योग के लिए काफी प्रसिद्ध है।
~ कोयला ग्रेट ब्रिटेन में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त यूरोप की मुख्य भूमि पर उत्तर पूर्वी फ्रांस से लेकर पोलैंड तक कोयले के निक्षेप मिलते हैं। यूरोप में कोयला ऊर्जा का सबसे प्रमुख साधन है।
~ पेट्रोलियम के निक्षेप यूरोप के कुछ क्षेत्रों में अवसादी चट्टानों के प्रदेशों में मिलते हैं। उत्तरी सागर, रुमानिया, जॉर्जिया, आर्मेनिया, अज़रबैजान और रूस में पेट्रोलियम के महत्त्वपूर्ण क्षेत्र हैं।
~ उत्तरी सागर के डॉगर बैंक और ग्रेट फिशर बैंक महत्त्वपूर्ण मत्स्य ग्रहण क्षेत्र है।
~ राइन नदी पर यूरोप का सबसे अधिक व्यस्त अंतः स्थलीय जलमार्ग है। टेम्स, सीन, डैन्यूब और वॉल्गा अन्य प्रमुख जलमार्ग हैं।
~ डैन्यूब नदी, यूरोप की दूसरी सबसे लंबी नदी है जो यूरोप के पांच राजधानी शहरों बुखारेस्ट (रोमानिया), बुडापेस्ट (हंगरी), ब्रातिस्लावा (स्लोवेनिया), बेलग्रेड (युगोस्लाविया) और वियना (ऑस्ट्रिया) से गुज़रती है।
~ रूस के मॉस्को को ‘पांच सागरों का बंदरगाह’ कहा जाता है। यह निम्नलिखित पांच सागरों (कैस्पियन सागर, काला सागर, बाल्टिक सागर, सफेद सागर और लेडोगा झील) से जुड़ा हुआ है।
~ इंग्लैंड, वेल्स तथा स्कॉटलैंड ग्रेट ब्रिटेन के ही भाग हैं। आयरलैंड द्वीप में उत्तरी आयरलैंड तथा आयरिश गणराज्य शामिल है। उत्तरी आयरलैंड तथा ग्रेट ब्रिटेन संयुक्त रूप से युनाइटेड किंगडम कहलाते हैं। इंग्लिश चैनल युनाइटेड किंगडम को यूरोप की मुख्य भूमि से अलग करता है। जहां इसकी चौड़ाई सबसे कम है वहां यह 33 किमी. है। इस देश की तटरेखा बहुत लंबी और दंतुरित है। इसलिए यहां अच्छे और सुरक्षित पोताश्रय पाए जाते हैं।